शिवराज के 12 साल : बेमिसाल पर.. सिंधिया का तीखा वार, पूछे 12 सवाल

537 By 7newsindia.in Thu, Nov 30th 2017 / 19:19:39 प्रशासनिक     
भोपाल| मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री की कुर्सी पर 12 साल पूरे कर लिए हैं, इस उपलब्धि को भाजपा ने प्रदेश भर में जश्न के रूप में मनाया, वहीं शिवराज ने खुद को एक सीएम नहीं बल्कि एक आम आदमी बताया और अपने 12 साल के कार्यकाल में किये गए कार्यों को गिनाया| लेकिन प्रदेश की राजनीति में शिवराज के यह 12 साल आसान नहीं बल्कि चुनौतीपूर्ण रहे| एक छात्र नेता से प्रदेश के सबसे बड़े नेता के रूप में अपनी छवि बनाने वाले शिवराज कई मुद्दों पर घिरे और विपक्ष के निशाने पर रहे| सरकार के 12 साल के विरोध में कांग्रेस ने भी सरकार की नाकामियां गिनाई वहीं कांग्रेस में सीएम कैंडिडेट के रूप में प्रबल दावेदार माने जा रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी शिवराज के 12 साल पर जोरदार हमला बोला है और फेसबुक और ट्वीटर के माध्यम से निशाना साधा है|
ट्वीटर पर उन्होंने शिवराज के 12 साल पूरा होने पर प्रदेश भर में मनाये जाने वाले जश्न को लेकर हमला बोला है और 12 सवाल पूछे हैं||  
1)'मुख्यमंत्री बताने का कष्ट करें, कि 12 साल के कार्यकाल का जश्न आखिर आप मना किस लिए रहे है?
2) 2016 में प्रतिदिन 63 मासूम बच्चों की मौत, 1 साल में गंभीर कुपोषित बच्चों की संख्या 3 गुना बढ़कर 26000 हुई, इंदौर के MY अस्पताल में गैस कमी के कारण 11 मरीज़ों की मृत्यु, आज मप्र का शिशु मृत्यु दर देश में सबसे अधिक - इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है?
3) आज किसान फसल सडकों पर फेंकने को मजबूर- एक तरफ बढ़ती लागत, समर्थन मूल्य में इजाफा नहीं, मंडियों में दाम नहीं, बिक्री हो तो भुगतान हाथोहाथ नहीं. भावान्तर का भंवरजाल किसानों के लिए सुरक्षा कवच है या ज़ख्म कुरेदने का षड्यंत्र? सीएम शिवराज, क्या यही है आपका किसानों पर उपकार? अपना जायज़ हक़ मांगने पर मप्र सरकार ने मंदसौर के किसानों को गोली चलाकर जान से मार डाला, टीकमगढ़ में किसानों को थाने में निवस्त्र कर लाठियां बरसाई, फिर नरसिंहपुर में निराश किसानों को अपने खून से कलेक्ट्रेट की दीवारों को रंगने पर मजबूर कर दिया|
4) मुख्यमंत्री कहते है किसान पूरी तरह संतुष्ट है? अपने ही प्रदेश में भीषण कृषि संकट से जुझ रहे पीड़ित किसानों को असामाजिक तत्व का खिताब देते है?
5) हिंदुस्तान के दिल में बसे किसानों में से हर 5 घंटे, एक किसान अपनी जान ले रहा है; पिछले 16 सालों में, 21000 किसान आत्म-हत्या का रास्ता अपना चुके है. क्या आपको उनकी पीड़ा दिखती ही, या क्या यही है कृषि कर्मण पुरस्कार जीतने वाले स्वर्णिम मध्यप्रदेश की सच्चाई?
6) सिंहस्थ के आस्था के कुम्भ में भी भ्रष्टाचार का कोई मौका नहीं छोड़ा. व्यापम की बदौलत आज हमारा स्वर्णिम प्रदेश “मृत्यु प्रदेश” कहलाया जाता है - जाने कितने मासूमो ने जान गंवाई. शिक्षा में इतिहास में पहला ऐसा घोटाला - 7 साल पढ़ाई करने वाले डॉक्टर की आपने 7 लाख की बोली लगा दी?
7) कही शौचालय, गौशाले में स्कूल तो कही छात्र सड़क किनारे, बिना छत आवारा पशुओं के साथ पढ़ने को मजबूर| ऊपर से स्कूल में टीचर नहीं, जहां है वहां एक ही है - 17,874 स्कूल में केवल एक टीचर - 12 साल में मुख्यमंत्री शिवराज ने शिक्षा के लिए आखिर किया क्या है?
8) मुख्यमंत्री के नाक के नीचे भोपाल गैंगरेप जैसी अत्यंत दुखदायी घटना सामने आ रही है - महिला अपराध बढ़ता चला जा रहा है लेकिन, और पुलिस मदद की जगह पीड़ित का मज़ाक बनाते है - आपने 12 साल के शासन में महिलाओं की सुरक्षा पर ध्यान क्यों नहीं दिया? अमरीका में कह रहे थे कि मप्र की सड़के वाशिंगटन से बेहतर है - कोई इनके आंखों से पट्टी उतारे - असल में सैकड़ों यहां गड्ढे है, सड़कों का हाल ऐसा, कि मौत के ये अड्डे है|
9) बिजली-पानी की बात करें तो 24 घंटे बिजली का वादा किया था, मगर मप्र में बिजली का नामोनिशान नहीं. पीने का स्वच्छ पानी भी उपलब्ध नहीं| आप ऐसे झूठे वादे करना कब बंद करेंगे?
10) दलितो के खिलाफ अपराध में मप्र तीसरे नंबर -मप्र में 92% दलित बच्चे आज भी स्कूल में पानी नहीं पी सकते| मुख्यमंत्री के सीहोर जिले में 50 दलित परिवार सरकार से इच्छामृत्यु की गुहार करने को मजबूर है| आप कहते थे सबका साथ, सबका विकास| आज हम पूछना चाहते है-किसका साथ, और कहां है विकास?
11) हमारे आदिवासी भाई-बहन अभी तक अपने जल-जंगल-ज़मीन के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश सरकार उन्हें उनके अधिकार दिलाने के बजाय, उनके पट्टे छीनकर उन्हें भूमिहीन करने में लगी है| क्या यह है हमारे आदिवासी भाइयों और बहनों के अच्छे दिन? मप्र में 14 लाख बेरोज़गार- 13 लाख पढ़े-लिखे भी होकर,खा रहे दर-दर की ठोकर. मनरेगा भ्रष्टाचार में मप्र सबसे अव्वल नंबर पर-1 साल में 21 लाख से ज़्यादा फ़र्ज़ी जॉब कार्ड रद्द हो चुके है| समय पर मजदूरी नहीं मिलती, ज़रूरतमंदों को काम नहीं, केवल 1% परिवारों को 100 दिन रोज़गार मिला|
12) नोटबंदी ने सिर्फ 3 महीनों में 15 लाख नौकरियां तबाह कर दी, और मप्र मुख्यमंत्री कहते है नोटबंदी से गरीबों के लिए रोज़गार अवसर बढ़े? असल में हाल कुछ ऐसा है कि चरमराई है मध्यप्रदेश की कानून, स्वास्थ्य, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था - क्योंकि कर दी है भाजपा ने उन सबकी हालत खस्ता|

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