महिलाओं में बांझपन का प्रमुख कारण टी.बी.:- डॉ दिवाकर तेजस्वी

780 By 7newsindia.in Sat, Apr 7th 2018 / 15:44:17 बिहार     

सौरभ कुमार, संवाददाता
पटना : आज विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर पब्लिक अवेयरनेस फाॅर हेल्थफुल एपरोच फाॅर लिविंग (पहल) के द्वारा टी0बी0 जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन डा0 दिवाकर तेजस्वी क्लिनिक, नेमा पैलेस एक्जीविशन रोड, पटना में किया गया। इस अवसर पर पहल के चिकित्सा निदेशक एवं वरिष्ठ फिजिसियन डा0 दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि टीबी महिलाओें के जननांगों जैसे अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा और योनि या श्रोणि के आस-पास के लिम्फ नोड्से को प्रभावित करता है। गर्भाशय टीबी बांझपन का प्रमुख कारण होता है। यदि महिला को प्राथमिक बांझपन उत्पन्न होती है तो इस संदेह को दूर किया जाना चाहिए और अपने परिवार के सदस्यों को भी जाॅच करानी चाहिए की  परिवार का कोई अन्य सदस्य भी इस रोग से ग्रसित तो नही है। कई महीनों या वर्षो से भी सामान्य स्थितियों में निर्बलता, थकावट , लो ग्रेड फीवर, पेट-संबंधी परेशानी या दर्द , योनि स्राव और मासिक धर्म अनियमितताओं की अच्छी तरह से जाॅच करानी चाहिए। डा तेजस्वी ने टी.बी. के लक्षण के बारे में विशेष रूप से जानकारी दी। साथ ही लोगों में इस बीमारी के बावत फैेली भ्रान्तियों को भी दूर किया। डा0 तेजस्वी ने फेफड़े के टी.बी. के लक्षण बताते हुए कहा कि यदि किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से ज्यादा से खांसी हो रही हैं, सीने में दर्द हो, बलगम में खुन हो, शाम के शाम हल्की बुखार आती हो, कमजोरी हो , वजन का ह्रास हो ये सभी टी.बी. के लक्षण हो सकते है। वैसे लोगों को निकटम स्वास्थ्य केन्द्र में बलगम की जाॅच करा लेनी चाहिए। टी.बी. के रोगियों को खांसते वक्त मुॅह पर रूमाल रख लेनी चाहिए क्योंकि टी.बी. के रोग के फैलाव का मुख्य कारण रोगियों के खांसने एवं छीकने से वातावरण में निकले टी.बी. के किटाणु होते हैं। फेफड़ों की टी.बी. के रोगियों को चिकित्सीय देख-रेख में कम से कम 6 से 9 महीने की नियमित दवाओं की सेवन करनी चाहिए तथा रीढ़ के हड्डियों एवं मष्तिक के टी.बी. के रोगियों को डेढ़ साल से दो साल तक दवाओं की सेवन करनी पर सकती है। इस संक्रमण के दौरान- धीरे-धीरे वजन घटना, कमजोरी , लगातार दस्त , बुखार, , भुख में गिरावट आदि  संक्रमित व्यक्ति चिकित्सक की सलाह पर दवा का प्रयोग करे एवं संयमित जीवन जीये, गर्भवती माॅ अपने नवजात को संक्रमण से बचाने के लिए चिकित्सक की सलाह पर दवा का प्रयोग करे तो इस संक्रमण के फैलने के खतरे को कम किया जा सकता है। एच.आई.वी. के संक्रमण के बाद टी.बी. होने की आशंका बहुत तेजी से बढ़ जाती है। डा0 तेजस्वी ने बताया कि टी.बी. से संक्रमित गर्भवती महिलाओं को स्टेप्टोमाईसीन की सूई नहीं देनी चाहिए क्यों कि यह गर्भ में पल रहे बच्चों में बहरापन उत्पन्न कर सकता हैं । महिलाएॅ टी.बी. के दवाओं के सेवन के साथ-साथ स्तनपान करा सकती है। एच.आई.वी. के संक्रमण के बाद टी.बी. होने की आशंका बहुत तेजी से बढ़ जाती है। डा0 तेजस्वी ने बताया कि अनियंत्रित मधुमेह वाले रोगियों में टी.बी. रोग होने की संभावनाएॅं अधिक होती है। हमें शारीरिक परिश्रम एवं खान-पान पर विशेष ध्यान रखने की आवशयकता है तथा समय- समय पर अपने स्वास्थ्य की जाॅच करानी चाहिए। 

 

Similar Post You May Like

ताज़ा खबर