सफलता की कहानी : बेटी को मिला शिक्षा से जीवन बेहतर करने का अवसर

496 By 7newsindia.in Tue, Jan 16th 2018 / 19:55:37 प्रशासनिक     
रीवा : शिक्षा विकास की कुन्जी है। शिक्षा हमें मानसिक तथा वौद्धिक रूप से विकसित करने का अवसर देकर जीवन में विकास का मार्ग प्रशस्त करते है। लेकिन कई बच्चे पारिवारिक परिस्थितियों तथा जीवन की कठिनाइयों के कारण अच्छी तथा नियमित शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं। ऐसे बच्चों को श्रम विभाग के विशेष प्रशिक्षण केन्द्र के द्वारा प्रशिक्षण देकर नियमित शिक्षा का अवसर दिया गया है। रीवा में रानीतालाब में संचालित विशेष ट्रेनिंग सेंटर से जुड़कर अनेक बच्चे नियमित शिक्षा प्राप्त कर रहे है। ऐसी एक बेटी मधु बसोर को विशेष प्रशिक्षण केन्द्र ने नियमित शिक्षा का अवसर दिया है। 
इस संबंध में उप संचालक रोजगार तथा प्रभारी अधिकारी बाल श्रम परियोजना अनिल दुबे ने बताया कि मधु बसोर पाण्डेन टोला रीवा की निवासी है। उसके पिता कमलेश बसोर तथा माता रेखा बसोर मजदूरी करने तथा कबाड़ बीनने का कार्य करते है। मधु भी कम उम्र में ही परिवार की आय बढ़ाने के लिये शहर में घूम-घूम कर कबाड़ बीनने लगी। जिसके कारण उसे नियमित शिक्षा का अवसर नही मिला। राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के तहत मधु को विशेष प्रशिक्षण केन्द्र में भर्ती कराया गया। उसे नियमित शिक्षा प्राप्त करने के लिये शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पाण्डेय टोला में भर्ती कराया गया। मधु नियमित रूप से स्कूल जा रही है। वह अच्छी शिक्षा प्राप्त कर डॉक्टर बनना चाहती है। उसके सपनों की उड़ान राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना के माध्यम से संभव हो सकी है।
इसी तरह कमल बसोर को भी बाल श्रम परियोजना से जुड़कर शिक्षा का अवसर मिला। कमल के पिता कृष्णा बसोर परिवार की आजीविका चलाने के लिये सुअर पालन तथा कवाड़ बीनने का कार्य करते हैं। कमल भी इन कार्यों में पिता का साथ बटाता था। उसने स्कूल की शिक्षा पूरी होने के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। उसके मन में शिक्षा को ललक थी किन्तु आर्थिक सामाजिक कारणों से वह आगे की पढ़ाई नही कर पा रहा था। उसे बाल श्रम परियोजना के तहत संचालित विशेष प्रशिक्षण केन्द्र में भर्ती कराया गया। वहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त करके कमल ने ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय रीवा में बी.एस.सी. प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया कमल बी.एस.सी. में नियमित रूप से शिक्षा प्राप्त कर रहा है। वह अच्छी तथा उच्च शिक्षा प्राप्त करता है। उसके मन में महाविद्यालय में प्राध्यापक बनने का सपना है। बाल श्रम परियोजना ने उसके सपने में रंग भरने का कार्य किया है।

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