महाकाल मंदिर : 10 दिन में ही बिगड़ी RO, चढ़ाया सादा पानी

1488 By 7newsindia.in Fri, Nov 10th 2017 / 11:16:06 प्रशासनिक     

उज्जैन.महाकाल मंदिर में शिवलिंग का क्षरण रोकने के प्रयास में मंदिर प्रबंध समिति द्वारा शुरू की गई आरओ के जल से अभिषेक करने की व्यवस्था नियम लागू होने से 10 दिन में ही बिगड़ गई। बंदरों ने पानी की पाइप लाइन तोड़ दी। इसके सुधार के लिए मंदिर प्रबंध समिति को आरओ प्लांट में पानी सप्लाई रोकना पड़ गया। इस कारण गुरुवार को तड़के 4 बजे हुई भस्मारती और सुबह 10.30 बजे की भोग आरती के दौरान गर्भगृह में शिवलिंग पर आरओ का जल नहीं चढ़ाया जा सका। सुबह 11 बजे तक मंदिर में उमड़े सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भी इस वजह से शिवलिंग पर आरओ की जगह सादा पानी ही चढ़ाया।

बुधवार रात बंदरों ने जूना महाकाल क्षेत्र में पानी की पाइप लाइन तोड़ दी थी। सुबह कर्मचारियों को जब तक इसकी खबर मिली। भस्मारती हो चुकी थी। लाइन जोड़ने और वॉल बदलने में समय लग गया। इस बीच भोग आरती भी हो गई। सुबह 11 आरओ प्लांट चालू कर शुद्ध पानी की सप्लाई शुरू की जा सकी। लेकिन जब तक मंदिर में पंडे-पुजारियों से लेकर जितने भी श्रद्धालु जल चढ़ाने आए उन्होंने सादा पानी ही शिवलिंग पर चढ़ाया।

महानिर्वाणी अखाड़े के महंत बोले- हम तो कपड़ा हटाकर चढ़ा रहे महाकाल को भस्मी

उज्जैन ज्योतिर्लिंग महाकाल के शिवलिंग का क्षरण रोकने के लिए मंदिर प्रबंध समिति ने भले ही भस्मारती में शिवलिंग पर कपड़ा लपेटने और 30 सेकंड तक ही भस्मी चढ़ाने की व्यवस्था लागू की हो लेकिन महानिर्वाणी अखाड़े के महंत प्रकाशपुरी महाराज का कहना है हम तो जब भस्मी चढ़ाते हैं तो कपड़े को पूरा हटाकर चढ़ाते हैं। भस्मी चढ़ाने के 30 सेकंड के समय को उन्होंने खारिज करते हुए कहा- इसका कोई समय ही निर्धारित नहीं है। पांच मंत्र बोलने जितने समय तक भस्मी चढ़ती है। इसमें 5 मिनट भी लग सकते हैं और 10 मिनट भी। महाकाल मंदिर स्थित अखाड़ा परिसर में महंत ने गुरुवार शाम 6 बजे चर्चा में इस बात का खुलासा किया।

पशुपतिनाथ मंदिर : प्रात:कालीन आरती मंडल ने गर्भगृह में नहीं किया प्रवेश

मंदसौर. पशुपतिनाथ प्रतिभा के स्पर्श और अभिषेक पर रोक लगाने के प्रस्ताव का विरोध शुरू हो गया है। गुरुवार काे प्रात:कालीन आरती मंडल ने प्रतिमा के अभिषेक, शृंगार और सेवा नहीं करने पर अमल शुरू कर दिया। 30 साल से आरती कर रहे मंडल अध्यक्ष दिलीप शर्मा सहित अन्य ने विरोध स्वरूप गर्भगृह में प्रवेश नहीं किया। बाहर से ही बाबा के दर्शन किए।

 

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