मानव श्रृंखला

503 By 7newsindia.in Sun, Jan 21st 2018 / 10:22:25 लेख- कविता     

गाँव शहर से नगर डगर तक

बहने लगी मस्त वयार है ,

मानव श्रृंखला की वजह से

अब लटकने लगी तलवार है ।

 

परिवर्तन की आँधी चलने दो

विद्रूप मानसिकता बदलने दो ,

इस बिहार के जर्रे - जर्रे से

कोढ़ दहेज का मिटने दो ।

 

स्रष्टा का वरदान है बेटी

हम सबका अभिमान है बेटी ,

द्रष्टा बन आँखें खोलो तो

उनके सपने को पलने दो ।

 

यह पुनीत यज्ञ है राज्य का

आहुति लालच की पड़ने दो ,

जर्रे -जर्रे से उठ रही आवाज है

बेटियों को आगे बढ़ने दो ।

 

लक्ष्मी दुर्गा की छाया है बेटी

सरस्वती की वाणी बनने दो ,

कभी कदम न उनका रोको

हर साँचे में ढ़लने दो ।

 

एक बेटी जब जलती है

हविष्य दहेज का बनती है ,

माँ - बाप की आँखों से तब

वह आँसू बनकर बहती है ।

 

बहू - बेटी में फर्क न करना

जीवन उनका वरदान समझना ,

धन - दौलत यहीं रह जायेगा

क्या साथ जगत से जायेगा ?

 

उनके पंखों को काटो मत 

उन्मुक्त गगन में उड़ने दो ,

कारवां जब बनता जाता है

माथे पर किरीट तब भाता है ।

 

               डा. रेखा सिन्हा

            राजगीर , नालंदा 

 

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