मनमोहन ने कहा-प्रोपेगेंडा था 2G घोटाला, सरकार का पलटवार, कहा-ईमानदारी का तमगा नहीं है कोर्ट का फैसला

441 By 7newsindia.in Thu, Dec 21st 2017 / 15:33:53 कानून-अपराध     

नई दिल्ली :  देश का सबसे बड़ा घोटाला माने जाने वाले 2जी स्कैम में पूर्व संचार मंत्री ए राजा, द्रमुक सांसद कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले के बाद सरकार और विपक्ष के बीच ठन गई है। विपक्षी दल ने जहां इसे न्याय की जीत बताया है वहीं सरकार ने पलटवार करते हुए कहा कि कोर्ट के फैसले को ईमानदारी के सर्टिफिकेट के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए। फैसले का स्वागत करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि अदालत के फैसले के बाद यह बात साबित हो गई है कि यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) के खिलाफ बड़े पैमाने पर बिना किसी सबूतों के आधार पर प्रोपेगेंडा चलाया गया।
सिंह ने कहा कि गलत नीयत से यूपीए सरकार को बदनाम करने के लिए दुष्प्रचार किया गया था।
अदालत के फैसले के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए सिंह ने कहा, 'कोर्ट के फैसले का सम्मान किया जाना चाहिए। मुझे खुशी है कि अदालत में यह बात साबित हो चुकी है कि यूपीए के खिलाफ जो प्रोपेगेंडा चलाया गया वह बिना किसी आधार के था।'
मनमोहन सिंह केे दूसरे कार्यकाल में ही इस कथित घोटाले का पर्दाफाश हुआ था।
फैसले के बाद विपक्ष ने चौतरफा सरकार पर हमला किया। पूर्व मंत्री और राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जिस कथित घोटाले की वजह से हमारी सरकार गई, वह वास्तव में हुआ ही नहीं।
वहीं वरिष्ठ कांग्रेसी सांसद कपिल सिब्बल ने तत्कालीन सीएजी विनोद राय से माफी मांगने की मांग की। उन्होंने कहा कि मैंने तब भी कहा था कि देश में कोई घोटाला नहीं हुआ था।
उन्होंने कहा, 'विनोद राय को भी माफी मांगनी चाहिए। मैं कभी यू-टर्न नहीं लेता। कोई घोटाला नहीं हुआ था और कोई नुकसान नहीं हुआ था।'
विपक्ष के हमले के बाद अब सरकार ने भी पलटवार किया है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान लाइसेंस आवंटन में भ्रष्टाचार हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस प्रक्रिया को गलत माना था।
उन्होंने कहा, 'लाइसेंस आवंटन के लिए यूपीए सरकार का तरीका भ्रष्ट और बेईमानी भरा था, और 2012 में यह बात सुप्रीम कोर्ट में साबित हो चुकी है।'
उन्होंने कहा कि कांग्रेसी नेता इस फैसले को प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहे हैं और ऐसा लग रहा है मानो इस बात पर मुहर लग गई है कि उनकी नीति सही थी।
जेटली कहा, '2007-08 में स्पेक्ट्रम आवंटन उस वक्त की बाजार कीमतों के आधार पर नहीं किया गया। तत्कालीन यूपीए सरकार ने 2001 की कीमतों के आधार पर लाइसेंस आवंटित किए। आवंटन नीलामी के जरिए नहीं बल्कि पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किया गया और जाहिर तौर पर इसमें निजी हितों को तरजीह दी गई।'
उन्होंने कहा कि विपक्ष को इस फैसले को प्रमाण पत्र नहीं मानना चाहिए क्योंकि जीरो लॉस की थ्योरी पहले ही रद्द की जा चुकी है।

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