बिहार : 500 करोड़ रुपए के NGO घोटाले में 7 अरेस्ट, लालू बोले- CBI जांच करे

487 By 7newsindia.in Fri, Aug 11th 2017 / 18:03:51 कानून-अपराध     

बिहार के भागलपुर के सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड द्वारा किए गए घोटाले का दायरा बहुत बड़ा है। जांच में गड़बड़ी का आंकड़ा 300 करोड़ से बढ़कर 500 करोड़ हो चुका है। इस केस में पुलिस ने शुक्रवार को सात लोगों को गिरफ्तार किया है। दूसरी ओर रांची में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लालू ने कहा कि इस केस की जांच सीबीआई से होनी चाहिए। 

              आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव रांची में कहा कि एनजीओ घोटाले की सीबीआई जांच होनी चाहिए। इस मामले में कई आईएएस ऑफिसर शामिल हैं, जो उसम समय डीएम थे। लालू ने 2005 से 2016 तक हुए विभिन्न घोटालों में सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम सुशील मोदी के संलिप्त होने के आरोप लगाए। लालू ने कहा कि वर्ष 2005 में जब सुशील मोदी बिहार के वित्त मंत्री थे तभी से पैसे की लूट शुरू हो चुकी थी। लालू यादव ने कहा कि भागलपुर में सृजन नाम की संस्था के आड़ में करोड़ों रुपए की लूट हुई है। हालांकि 300 करोड़ रुपए का मामला प्रकाश में आया है, लेकिन जांच हुई तो 10 हजार करोड़ रुपए का घोटाला उजागर होगा। बिहार सरकार एसआईटी से जांच कराकर इसे दबाना चाहती है। सृजन जैसे घोटाले बिहार के अन्य जिलों में भी हुए हैं। नीतीश कुमार के राज परत दर परत खुल रहे हैं इसलिए वे आनन-फानन में भाजपा से मिल गए।

ये हुए गिरफ्तार

पुलिस ने इस केस में सात लोगों को गिरफ्तार किया है। ये हैं- इंडियन बैंक के अजय पांडेय, फर्जी बैंक स्टेटमेंट इश्यू करने वाला युवक बंशीधर, स्टेनो प्रेम कुमार, नाजिर (ब्लॉक में काम करने वाला कर्मचारी) राकेश यादव, नाजिर राकेश झा, एनजीओ सृजन का कर्मचारी एससी झा और सरिता झा।

किसानों- महिलाओं की मदद के लिए आए पैसे से निजी कारोबार

सृजन महिला विकास सहयोग समिति से स्वयं सहायता समूह की करीब 6 हजार महिलाएं जुड़ी हैं। सृजन सिर्फ उनको ही कर्ज दे सकती थी, लेकिन सृजन मुख्य रूप से ब्लैक मनी को व्हाइट करने का जरिया बन गया।  घोटाले का मुख्य बिंदु यह है कि सरकारी पैसा 16% की ब्याज दर पर निजी लोगों को दे दिया गया। इसमें सृजन और उससे जुड़े नेटवर्क ने मोटी कमाई की। खासतौर पर भू-अर्जन से जुड़े पैसों को सृजन के खाते में ट्रांसफर किया जाता है। किसानों को मुआवजा देने के लिए केन्द्र राज्य सरकार से जो पैसे जिलों में आते उनको सरकारी खातों से सृजन के खाते में ट्रांसफर किया जाता रहा है।  ईओयू की पड़ताल में खुलासा हुआ कि डीएम और दूसरे अफसरों के हस्ताक्षर वाले चेक के पीछे सृजन का खाता नंबर लिखा होता था। पैसे पहले सरकारी खातों में जमा कराए जाते उसके बाद उसे सृजन के खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता। सृजन इन पैसों को रियल एस्टेट में लगाता, व्यापारियों को उधार देता, अधिकारियों को कर्ज देता रहा। सरकारी खातों में जब पैसे की जरूरत होती तो सृजन उन पैसों को मार्केट से उठाकर वापस सरकारी खाते में डाल देता। इस तरह इस पूरे खेल पर पर्दा पड़ा रहता। पहले मनोरमा देवी सृजन की मुख्य कर्ताधर्ता थीं। उनकी मृत्यु के बाद इस नेटवर्क में परेशानी आने लगी। दरअसल सरकारी खातों से जो पैसा सृजन को ट्रांसफर हो रहा था वह किसके पास और कहां-कहां है इसकी जानकारी मनोरमा को रहती थी। उनकी मृत्यु के बाद सरकारी खातों में वापस पैसा लौटने में परेशानी होने लगी।

एनजीओ है सृजन

सृजन महिला विकास सहयोग समिति की स्थापना 1996 में हुई। कहने के लिए संस्था ग्रामीण महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक, नैतिक, शैक्षणिक विकास के लिए काम करती है। इसका कार्यक्षेत्र भागलपुर जिले के सबौर, गोराडीह, कहलगांव, जगदीशपुर, सन्हौला समेत 16 प्रखंडों तक फैला है। 

इसका उद्देश्य संगठनात्मक कार्यक्रम, प्रशिक्षण कार्यक्रम, स्वरोजगार, बचत साख, उत्पादन मार्केटिंग, साक्षरता, प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में काम करना था। संस्था इसकी आड़ में सरकारी फंड का बैंक की मिलीभगत से अपने खाते में लाकर उसका दुरुपयोग कर रही थी। जांच के पहले तक संस्था दावा कर रही थी कि वह गांव की महिलाओं को सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाती है।

दो बैंकों के अफसरों की मिलीभगत

हेराफेरी में इंडियन बैंक की पटल बाबू रोड शाखा, बैंक ऑफ बड़ौदा की घंटाघर शाखा और सृजन महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की मिलीभगत सामने आई है। तीनों संस्थानों के तत्कालीन और वर्तमान मैनेजर, पदधारकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।

ऐसे खुला लूट का राज

सृजन महिला विकास समिति की सचिव मनोरमा देवी जब तक जीवित थीं, तब तक बैंक से चेक के जरिए रकम मिलती रही। उनकी मौत के बाद चेक बाउंस होने लगे। एडीजी (मुख्यालय) संजीव कुमार सिंघल के मुताबिक, मनोरमा देवी की मृत्यु के बाद एनजीओ से संबंधित अकाउंट डिसऑर्डर होने पर हंगामा खड़ा हो गया। जांच में अकाउंट में पैसा नहीं मिला। इसके बाद एक दशक से हो रहे घोटाले की पोल खुलने लगी।

जांच टीम को अब तक कुल 9 खातों का पता चला है। इनमें तीन सरकारी खाते हैं, जबकि एनजीओ सृजन से जुड़े आधा दर्जन अकाउंट हैं। इस कड़ी में कुछ सबूत भी हाथ लगे हैं, जिसके आधार पर जांच आगे बढ़ रही है। जल्द ही गिरफ्तारी भी हो सकती है।

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